Tuesday, April 18, 2017

मुझे जला देना

जब आमावस की रात आएगी
मुझे आग में डाल देना
चिड़ की लकड़ी की तरह
मैं धू धू कर के जल उठूंगा
बहुत लीसा भरा है मेरे अंदर
चिपचिपा लिसलिसा लीसा
जो किसी काम का नहीं

आग बहुत देर तक धधकेगी
और लपटे़ं आसमान से बातें करेंगी
आँच भी बहुत तेज होगी
अगर तुम ज्यादा करीब आए
तो झुलस जाओगे
इसीलिए दूर से ही खड़ा हो कर
अपनी दोनों हथेलियाँ खोल कर
आग तापना

हाँ धुआँ भी उठेगा
काला गाढ़ा दम घोटू धुआँ
जो अगर तुम्हारे फेफड़ों में भर गया
तो कलेजा फट जाएगा
इसलिये ध्यान रखना
कि हवा कहाँ की बह रही है
पछुआ हो तो तुम उत्तर में चले जाना
और अपनी नाख को दुपट्टे से ढँक लेना

मेरी राख को मत छेड़ना
बस मिट्टी में दबा देना
और रात की ओस मे भीगने देना
जब सुबह तुम लौट कर आओगे
वहाँ पर एक नागफनी लगा होगा
इतना असवाद भर गया है मेरे अंदर
हस साँस जलील हो कर
कोई कुन्दन कैसे बन सकता है

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