Tuesday, April 18, 2017

मेरी मौत से पहले

एक दिन
जब मेरी उँगलियाँ कट जाएंगी
और जुबान को फालिज़ पड़ जाएगा
मैं कविताएं नहीं लिखुंगा

कहीं किसी पागलखाने में बैठ कर
आसमान से बातें करूंगा

बातें जो कोई सुन नहीं सकेगा

तब ना जाने कितनी कविताएं
बेमौत मारी जाएंगी 
और मेरे मन के शमशान में उनका जौहर होगा
जब धू धू करती चिता के धुएँ में
किरदार चित्कार लगाएंगे
मैं दिल खोल कर हंसुगा 

मरो सब

तुमने मुझको कितनी मौतें मारा है

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