Monday, April 24, 2017

मैं हूँ

मैं निरपट नंगा
मैं एक ज़िंदा लाश
किसको जाना दूर है
किसको आना पास

मैं अपशिष्ट 
मैें कोढ हूँ तन का
मैं मैला हर उजले मन का
फूल रही जो दमे दमे से
मैं वो उल्झी साँस
किसको जाना दूर है
किसको आना पास

मैं रज:स्राव
मैं स्वपन दोश
मैं बहता पीप मवाद
जिस से भी धबराते हो
मैं हूँ वो अपवाद
बंद गले में हलक में अटके
मैं हूँ एैसी फाँस
किसको जाना दूर है
किसको आना पास

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