मैं निरपट नंगा
मैं एक ज़िंदा लाश
किसको जाना दूर है
किसको आना पास
मैं अपशिष्ट
मैें कोढ हूँ तन का
मैं मैला हर उजले मन का
फूल रही जो दमे दमे से
मैं वो उल्झी साँस
किसको जाना दूर है
किसको आना पास
मैं रज:स्राव
मैं स्वपन दोश
मैं बहता पीप मवाद
जिस से भी धबराते हो
मैं हूँ वो अपवाद
बंद गले में हलक में अटके
मैं हूँ एैसी फाँस
किसको जाना दूर है
किसको आना पास
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