तेरे जाने के बाद
कई दिनों तक बरसात रही
लोग कहतें हैं
कि
सूरज निकला
मेरी रूह में बस रात रही
तेरे जाने के बाद
कई दिनों तक बरसात रही
नश्तर चुभोती खलिश कोई
अब तेरी सौगात रही
अब रहा बाँकी बचा क्या
फ़ुर्क़त ही मेरे साथ रही
मिट गया इत्मामा मेरा
क्या मेरी औकात रही
कुफ्र ने ऐसा दबोचा
ना दीन ना कोई जात रही
तेरे जाने के बाद
कई दिनों तक बरसात रही
लोग कहतें हैं
कि
सूरज निकला
मेरी रूह में बस रात रही
कई दिनों तक बरसात रही
लोग कहतें हैं
कि
सूरज निकला
मेरी रूह में बस रात रही
तेरे जाने के बाद
कई दिनों तक बरसात रही
नश्तर चुभोती खलिश कोई
अब तेरी सौगात रही
अब रहा बाँकी बचा क्या
फ़ुर्क़त ही मेरे साथ रही
मिट गया इत्मामा मेरा
क्या मेरी औकात रही
कुफ्र ने ऐसा दबोचा
ना दीन ना कोई जात रही
तेरे जाने के बाद
कई दिनों तक बरसात रही
लोग कहतें हैं
कि
सूरज निकला
मेरी रूह में बस रात रही
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