Saturday, July 05, 2014

मुझको अक्सर याद तुम्हारी आती है

मेरे घर की मुंडेर पर
जब
धुप मुस्कुराती है

दिन आँचल में ले कर वो
जब
आँगन में पसर जाती है

गौरैया आ - आ कर
जब
दान चुग कर जाती है

नीम आचमन कर हवाएं
जब
ठंडी साँस पिलाती है

बारिश से भीगी मिटटी
जब
रूह को महकाती है

रात चांदनी ओस बनकर
जब
पत्तो से झर जाती है

जुगनू जगमग झिलमिल
जब
रात यूं ही कट जाती है

रेशम की तकली से
जब
तितली बाहर आती है

छत पर गिरती बारिश
जब
लोरी बन जाती हैं

ऊँचे ऊँचे पर्वत पर
जब
बर्फ लिहाफ उड़ाती है

मुझको
अक्सर
याद तुम्हारी आती है

No comments:

Post a Comment