दिन चढ़ गया
सूरज
बादल से
लड़ गया
बोला
बहुत हुआ
अब ये हठ ये तेरा
अब मुझको मुँह दिखलाने दो
चलो हटो
तुम जाओ
मुझको
थोड़ी धुप फ़ैलाने दो
कब तक
तुम बरसोगे
पानी
कितना और भिगाओगे
बाढ़ बनोगे
नदी चढ़ोगे
मिटटी को पुश्त बहाओगे
बहुत हुआ
प्रपंच
तुम्हारा
मुझको
तुम मुस्काने दो
दिन निकला है
नया नया सा
मुझको पैर फ़ैलाने दो
सूरज
बादल से
लड़ गया
बोला
बहुत हुआ
अब ये हठ ये तेरा
अब मुझको मुँह दिखलाने दो
चलो हटो
तुम जाओ
मुझको
थोड़ी धुप फ़ैलाने दो
कब तक
तुम बरसोगे
पानी
कितना और भिगाओगे
बाढ़ बनोगे
नदी चढ़ोगे
मिटटी को पुश्त बहाओगे
बहुत हुआ
प्रपंच
तुम्हारा
मुझको
तुम मुस्काने दो
दिन निकला है
नया नया सा
मुझको पैर फ़ैलाने दो
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