Friday, June 06, 2014

जैसी हो अच्छी हो

जैसी हो 
अच्छी हो 
बस ऐसे ही रहने दो 
पानी बन कर 
कभी कभी 
खुद को बहने दो 

कभी बादल बन कर तैरो 
तुम सारा आकाश 
बरसो कभी घटा तुम बनकर 
पीने ऊसर की प्यास

कभी सावन की तुम बनो फ़ुहार
कभी बूँद बूँद तरसाओ
कभी उमड़ो तुम हर बॉंध तोडकर
कभी सागर तुम बन जाओ

जिसको को कहना है
जो कहता है
कहने दो
जैसी हो
अच्छी हो
बस ऐसे ही रहने दो

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