Thursday, January 23, 2014

सुर्ख लहू से ज़ाज़बात लिखूँ

कोरी कविताएं ही लिखता रहा आज तक 

अब सोचता हूँ 
कुछ तो ऐसी बात लिखूँ 
सुर्ख लहू से ज़ाज़बात लिखूँ 
जिंदगी की जात लिखूँ 
मौत की औकात लिखूँ 
वक़त कि मैं लात लिखूँ 
सूरज पर मैं रात लिखूँ 

रोटी का मैं दर्द लिखूँ
भूख लिखूँ सर्द लिखूँ
कांच के मैं मर्द लिखूँ
लालची नामर्द लिखूँ
तूफ़ान लिखूँ आग लिखूँ
आज इंक़लाब लिखूँ
अब सोचता हूँ
कुछ तो ऐसी बात लिखूँ
सुर्ख लहू से ज़ाज़बात लिखूँ 

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