Thursday, January 23, 2014

मेरी ख़ामोशी

मेरी ख़ामोशी 
अब 
तुमको बहुत सताएगी 
मनो 
या न मनो तुम 
याद तो मेरी आयेगी 
कोई कविता 
कोई कहानी 
कानों में गुनगुनायेगी 
कभी हँसा कर 
कभी रुलाकर
दिल को छू कर जायेगी
मनो
या न मनो तुम
याद तो मेरी आयेगी

ढूंढोगे मुझको
खुद में तुम
याद मेरी जब आयेगी
पूनम कभी
और कभी अमावस
आँखों में भर आयेगी
कोशिश
जितनी भी कर लो तुम
कुछ हाथों में रह जायेगी
मनो
या न मनो तुम
याद तो मेरी आयेगी
मेरी ख़ामोशी
अब
तुमको बहुत सताएगी

जब
दिन आँगन उतरेगा
और
रात
लौट घर आयेगी
जब शोर शोर का बजे पकवाज़
ख़ामोशी चिल्लाएगी
जब तन्हाई दरया बनकर
साहिल छू कर जायेगी
मेरी यादें शबनम शबनम
तकिये का कवर भिगायेगी
मनो
या न मनो तुम
याद तो मेरी आयेगी
मेरी ख़ामोशी
अब
तुमको बहुत सताएगी

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