Wednesday, January 15, 2014

ना जाने कितनी थी वो बातें

ना जाने कितनी थी वो बातें
जो तुम को थी बतानी 
कुछ कहनी थी, तुमसे
कुछ इशारों से जतानी 
ना जाने कितनी थी वो बातें
जो तुम को थी बतानी 

बातें, जो धड़कन थी मेरी 
बातें, जो मेरी रवानी 
बातें, जो चुप रह कर मैंने 
चाही थी तुमें सुननी
ना जाने कितनी थी वो बातें
जो तुम को थी बतानी

अब वक़त निकल गया है आघे
वो बातें हुई--- कहानी
अक्सर रहती हैं आँखों में
वो बनकर बहता पानी
ना जाने कितनी थी वो बातें
जो तुम को थी बतानी

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