कुछ इस तरह है वक़त से रिश्ता मेरा बुना
कि हर बार रंजिशों ने मुझको ही है चुना
हर तबस्सुम पे लदा क़र्ज़ है रंज कई गुना
शिद्दत से जो अदा किया वो हर्फ़ कब सुना
कुछ इस तरह है वक़त से रिश्ता मेरा बुना
कि हर बार रंजिशों ने मुझको ही है चुना
कि हर बार रंजिशों ने मुझको ही है चुना
हर तबस्सुम पे लदा क़र्ज़ है रंज कई गुना
शिद्दत से जो अदा किया वो हर्फ़ कब सुना
कुछ इस तरह है वक़त से रिश्ता मेरा बुना
कि हर बार रंजिशों ने मुझको ही है चुना
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