तेरे होने से है रौशन मेरा इख्लास ये वज़ूद
एहसास बन कर है तू मेरी साँस में मौज़ूद
तेरा नूर बन के धूप है मेरी रूह पर मरहम
तेरे होने से शफ़ा है मेरे गर्दिश-ए - बरहम
जो सजदे में झुके सर तेरे, काफिर नहीं कहना
परस्तिश तेरी ही है अब मेरी रूह का गहना
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