Friday, December 06, 2013

तेरे होने से

तेरे होने से है रौशन मेरा इख्लास ये वज़ूद 
एहसास बन कर है तू मेरी साँस में मौज़ूद 
तेरा नूर बन के धूप है मेरी रूह पर मरहम 
तेरे होने से शफ़ा है मेरे गर्दिश- - बरहम 
जो सजदे में झुके सर तेरे, काफिर नहीं कहना 

परस्तिश तेरी ही है अब मेरी रूह का गहना

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