तुझ से कैसी जीत
तुझ से कैसे हार
लड़ने का तुझसे मक़सद भी
जब होता है प्यार
जितनी बार लड़ा मैं तुझसे
ये ही समझा हर बार
हर बात खत्म होती है इसपर
कि है तुझ से ही प्यार
फिर क्यूँ हो कोई दूरी तुझसे
फिर क्यूँ हो तकरार
तेरे मेरे बीच में ना हो
अब कोई दीवार
तू खुद से ये कर ले वादा
और मैं करू करार
तू मैं बैठें, मिल कर बाँटें
प्यार के बदले प्यार
तुझ से कैसी जीत
तुझ से कैसे हार
लड़ने का तुझसे मक़सद भी
जब होता है प्यार
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