Thursday, December 19, 2013

उसके नूर से

उसके नूर से है रौशन चाँद का चेहरा
उसकी मुस्कान से रंग है धूप सुनहरा
उसके गेसू से उमड़ती हैं काली घटाएं
छू कर के उसे चलती हैं सारी हवाएँ

आँखों से उसकी, उतरती हैं, शबनम में नफासत
उसकी उँगलियों ने ही बक्शी है मोती को नज़ाकत
उसके छूने से अदा होती है हर चीज़ को सबाहत
उसके तौकीफ़ कि करता रहूँ बस मैं इबादत

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