उसके नूर से है रौशन चाँद का चेहरा
उसकी मुस्कान से रंग है धूप सुनहरा
उसके गेसू से उमड़ती हैं काली घटाएं
छू कर के उसे चलती हैं सारी हवाएँ
आँखों से उसकी, उतरती हैं, शबनम में नफासत
उसकी उँगलियों ने ही बक्शी है मोती को नज़ाकत
उसके छूने से अदा होती है हर चीज़ को सबाहत
उसके तौकीफ़ कि करता रहूँ बस मैं इबादत
उसकी मुस्कान से रंग है धूप सुनहरा
उसके गेसू से उमड़ती हैं काली घटाएं
छू कर के उसे चलती हैं सारी हवाएँ
आँखों से उसकी, उतरती हैं, शबनम में नफासत
उसकी उँगलियों ने ही बक्शी है मोती को नज़ाकत
उसके छूने से अदा होती है हर चीज़ को सबाहत
उसके तौकीफ़ कि करता रहूँ बस मैं इबादत
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