रौशनी
तुम
ले चलो
परछाइयों से दूर
क्यूँ
रहे
कोई यहाँ
हालात से मज़बूर
रौशनी
तुम
चेतना दो
रौशनी
तुम प्राण दो
अज्ञान को
जो
भेद दे
ज्ञान रुपी बाण दो
रौशनी
तुम
चेष्ठा दो
रौशनी
उमंग दो
क्षितिज को
लाँघ लेंगे
जो साथ दो
जो संग दो
रौशनी
तुम
ले चलो
परछाइयों से दूर
क्यूँ
रहे
कोई यहाँ
हालात से मज़बूर
तुम
ले चलो
परछाइयों से दूर
क्यूँ
रहे
कोई यहाँ
हालात से मज़बूर
रौशनी
तुम
चेतना दो
रौशनी
तुम प्राण दो
अज्ञान को
जो
भेद दे
ज्ञान रुपी बाण दो
रौशनी
तुम
चेष्ठा दो
रौशनी
उमंग दो
क्षितिज को
लाँघ लेंगे
जो साथ दो
जो संग दो
रौशनी
तुम
ले चलो
परछाइयों से दूर
क्यूँ
रहे
कोई यहाँ
हालात से मज़बूर
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