कल बहुत देर तक अपनी ऐनक ढूंढता रहा
यूँ ही
गाहे - बगाहे
सार घर उलट पलट डाला
दराजें छान मरी
सारी अलमारियां खाली कर दीं
सोफे के पीछे
बिस्तरे के नीचे
खिडकियों में
रोशनदानों में
धुलाई के कपड़ों में
कभाड के सामानों में
फिर भी , ढूंढ ना पाया
बैठ गया
मुहँ लटकाया
तभी बेटी ने बताया
अपने अपना चश्मा
गले में है लटकाया
अब उम्र हो चली है शायद
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