Saturday, November 16, 2013

मैं कहाँ भूला हूँ वो सर्दियों का मौसम



मैं कहाँ भूला हूँ 
वो सर्दियों का मौसम 
जो यूँ ही गुजर गया था 
इंतज़ार में 

ना तुम चेहरा थे 
ना मैं सूरत 
फिर भी गुंथे हुए थे हम 
शब्दों के तार में 

ना तुम ने सवाल पूछे 
ना मैंने जवाब मांगे 
कितना अपनापन सा था 
उस ऐतबार में 

मैं कहाँ भूला हूँ 
वो सर्दियों का मौसम 
जो यूँ ही गुजर गया था 
इंतज़ार में
जो यूँ ही गुजर गया था 
इंतज़ार में 

ना तुम चेहरा थे 
ना मैं सूरत 
फिर भी गुंथे हुए थे हम 
शब्दों के तार में 

ना तुम ने सवाल पूछे 
ना मैंने जवाब मांगे 
कितना अपनापन सा था 
उस ऐतबार में 

मैं कहाँ भूला हूँ 
वो सर्दियों का मौसम 
जो यूँ ही गुजर गया था 

इंतज़ार में

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