Saturday, November 16, 2013

बस इतनी सी है कोशिश मेरी

बस इतनी सी 
है 
कोशिश मेरी 
कि 
मैं तेरी 
आवाज़ बनूँ 

कि 
उड़ सके 
तू अजय 
तेरे पंख बनूँ 
परवाज़ बनूँ 

तुझे 
छू  सके 
ना दुश्व्रियां 
ताबीज़ गले का 
आज बनूँ 

जब भी सताएं 
तुझे 
मुश्किलें 
मैं दोस्त बनूँ 
हमराज़ बनूँ 


बस इतनी सी 
है 
कोशिश मेरी 
कि 
मैं तेरी 
आवाज़ बनूँ


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