बस इतनी सी
है
कोशिश मेरी
कि
मैं तेरी
आवाज़ बनूँ
कि
उड़ सके
तू अजय
तेरे पंख बनूँ
परवाज़ बनूँ
तुझे
छू सके
ना दुश्व्रियां
ताबीज़ गले का
आज बनूँ
जब भी सताएं
तुझे
मुश्किलें
मैं दोस्त बनूँ
हमराज़ बनूँ
बस इतनी सी
है
कोशिश मेरी
कि
मैं तेरी
आवाज़ बनूँ
No comments:
Post a Comment