Sunday, October 27, 2013

तुम भी ना

तुम भी ना
कितना सताती हो
जब सो रहा हूँ मैं
तब क्यूँ जगाती हो
तुम भी ना
कितना सताती हो

जब कह दिया मैंने
बस चाय नहीं पीनी
फिर भी तुम न जाने क्यूँ 
दो कप ले आती हो
तुम भी ना
कितना सताती हो
जब सो रहा हूँ मैं
तब क्यूँ जगाती हो

जब कह कर जाता हूँ
मैं खा कर आऊंगा
जब लौट कर आता हूँ
क्यूँ प्लेट लगाती हो
तुम भी ना
कितना सताती हो
जब सो रहा हूँ मैं
तब क्यूँ जगाती हो

क्यूँ मान नहीं लेती
मैं दावा वक्त पर लूँगा
दो मिनट जो देरी हो
तुम ले ही आती हो
तुम भी ना
कितना सताती हो
जब सो रहा हूँ मैं
तब क्यूँ जगाती हो

पर जब तुम नहीं होती
कुछ क्यूँ नहीं होता
पानी के नलके पर भी
तुम याद आती हो
तुम भी ना
कितना सताती हो
जब सो रहा हूँ मैं
तब क्यूँ जगाती हो
 

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