Sunday, October 27, 2013

मैं कहाँ भूला हूँ

मैं कहाँ भूला हूँ 
वो सर्दियों का मौसम 
जो यूँ ही गुजर गया था 
इंतज़ार में 

ना तुम चेहरा थे 
ना मैं सूरत 
फिर भी गुंथे हुए थे हम 
शब्दों के तार में 

ना तुम ने सवाल पूछे
ना मैंने जवाब मांगे
कितना अपनापन सा था
उस ऐतबार में

मैं कहाँ भूला हूँ
वो सर्दियों का मौसम
जो यूँ ही गुजर गया था
इंतज़ार में

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