Sunday, October 27, 2013

सुनो रौशनी

सुनो रौशनी 
तुम रुक नहीं पाओगी 
चाहे जतन कितना भी करे ये अँधेरा 
तुम चीर कर इसको एक दिन 
सारी कायनात जगमगाओगी 
दिन में चमकोगी अफताब बन कर 
रात सितारा बन कर झिलमिलाओगी 
सुनो रौशनी 
तुम रुक नहीं पाओगी

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