सुनो रौशनी
तुम रुक नहीं पाओगी
चाहे जतन कितना भी करे ये अँधेरा
तुम चीर कर इसको एक दिन
सारी कायनात जगमगाओगी
दिन में चमकोगी अफताब बन कर
रात सितारा बन कर झिलमिलाओगी
सुनो रौशनी
तुम रुक नहीं पाओगी
तुम रुक नहीं पाओगी
चाहे जतन कितना भी करे ये अँधेरा
तुम चीर कर इसको एक दिन
सारी कायनात जगमगाओगी
दिन में चमकोगी अफताब बन कर
रात सितारा बन कर झिलमिलाओगी
सुनो रौशनी
तुम रुक नहीं पाओगी
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