जब
दर्द ने दी है
दस्तक
हँस कर गले लगाया है
जितनी बार मिला है
मुझसे
कुछ नया सिखाया है
आँखों में उतरी
जब भी शबनम
इसने ही सहलाया है
ऊँगली पकड़ कर
हाथ थाम कर
रास्ता पार कराया है
भवरों में जब डोली नैय्या
साहिल तक ले आया है
जितनी बार मिला है
मुझसे
कुछ नया सिखाया है
घनघोर घटा में
बन कर सूरज
अंतर्मन चमकाया है
एकाकी राहों पर इसने
सच्चा साथ निभाया है
छोड़ गए सब संगी साथी
इसने गले लगाया है
अपने सभी पराये हो गये
दर्द को अपना पाया है
जितनी बार मिला है मुझसे
कुछ नया सिखाया है
जब भी,
दर्द ने दी है दस्तक
हँस कर गले लगाया है
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