Monday, April 08, 2013

दर्द


जब 
दर्द ने दी है
दस्तक 
हँस कर गले लगाया है 
जितनी बार मिला है 
मुझसे 
कुछ नया सिखाया है 

आँखों में उतरी 
जब भी शबनम 
इसने ही सहलाया है 
ऊँगली पकड़ कर 
हाथ थाम कर
रास्ता पार कराया है 
भवरों में जब डोली नैय्या 
साहिल तक ले आया है 
जितनी बार मिला है 
मुझसे 
कुछ नया सिखाया है 

घनघोर घटा में 
बन कर सूरज 
अंतर्मन चमकाया है 
एकाकी राहों पर इसने 
सच्चा साथ निभाया है 
छोड़ गए सब संगी साथी 
इसने गले लगाया है 
अपने सभी पराये हो गये 
दर्द को अपना पाया है 
जितनी बार मिला है मुझसे 
कुछ नया सिखाया है 

जब भी
दर्द ने दी है दस्तक 
हँस कर गले लगाया है 

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