ख़ामोशी की सरगोशियाँ
हैं गूँजती
रातों - सहर
न जाने कौन से एहसास थे
जो रास्ता भटक गए
झूठ के अबरार को
तो निगल पाए थे हम
जो सच बुझे अल्फाज़ थे
गले गले अटक गए
न जाने कौन से अलफ़ाज़ थे
जो रास्ता भटक गए
अब न कोई एहबाब है
है न कोई
अब हमसफ़र
हैं ख़ामोशी की सरगोशियाँ
अब गूँजती
रातों - सहर
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