किसका इंतज़ार तुम्हें है
कौन है ...
जो आयेगा
और देश को जगायेगा
धरती और फलक पर जो
इन्कलाब लिख पायेगा
जिसकी
ललकारों को सुनकर
हाकिम थारायेंगे
तख़्त छोड़ कर
ताज छोड़ कर
मिटटी में मिलजायेंगे
शहर जगेंगे
गाँव उठेंगे
उफान जूनून का आयेगा
मिटटी पत्थर लोहा लक्कड़
सब उसमें बह जायेगा
जिसके
हुंकारे
सुन उबलेगी
दीवानों की भीड़
और काट कर रख देगी
विदोहन की जंजीर
उफान उठा सैलाब
तंत्र की
दीमक को पी जायेगा
बिजली कौन्धेगी
बादल बरसेंगे
नया सवेरा आयेगा
किसका इंतज़ार तुम्हें है
कौन है ...
जो आयेगा
और हनुमान तुम्हारा
जामवंत बन जायेगा
तुमें तुम्हारी शक्ति
याद वो दिलाएगा
सौ योजन सागर लंघ्वा कर
लंका दहन कराएगा
किसका इंतज़ार तुम्हें है
कौन है ...
जो आयेगा
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