Monday, December 17, 2012

पर ख्वाब


मैं जानता हूँ 
हमनफस 
जब तक आँखों में ये ख्वाब ठहरा है 
तेरे मुस्कुराहट धूप बनकर 
मुझपर मेहरबान है

इस ख्वाब की उम्र है 
कितनी 
मुझको नहीं पता 
इस लिए जीना चाहता हूँ 
हर लम्हा 
उम्र भर 

दुआ है 
अर्ज है 
गुजारिश है 
की ये ख्वाब कभी टूटे 
पर ख्वाब 
शीशे के बने होते हैं

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