Tuesday, December 04, 2012

सफ़र


ना जाने
कितने सफ़र
कितने कारवां
कितने पड़ाव
और तय करने हैं अपनी तलाश में
जब निकला था
तब ये नहीं सोचा था
की ये रास्ता इतना लम्बा होगा

ना जाने
कितने मोड़
कितने उतार
कितने चढाव
तय कर चुका हूँ अब तक
थोडा थक भी गया हूँ
शायद
अब देखना ये है कि
पहले हौंसला ख़तम होता है या ये सफ़र

1 comment:

  1. liked it, hausla to khatam nahin ho sakta tumhara kabhi

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