1
तू
मेरी रूह का लिबास है
मुमकिन नहीं तेरे बगैर , आना जाना
2
तू साथ है
दुआ बन कर
मैं हर पल इशरत का जिए जा रहा हूँ
3
तेरी दस्तक पर
जो मैंने खोला दरवाजा
मेरे बंद कमरे में सवेरा उतर आया
4
तू ने
दुवाओं से है
सींचा मेरा वजूद
मेरे आँगन में हरदम बहार रहती है
5
तेरी हर दाद
मेरी लिए इनाम है
सिक्के बहुत जमा हैं
मर्तबान मे
6
धूप,
तुम
उतरो मेरे आँगन में
और पसर जाओ
सीलन बहुत बसी है दर-ओ-दिवार पर
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