Monday, December 17, 2012

तू


1

तू 
मेरी रूह का लिबास है 
मुमकिन नहीं तेरे बगैर , आना जाना 

2

तू साथ है
दुआ बन कर 
मैं हर पल इशरत का जिए जा रहा हूँ

3

तेरी दस्तक पर 
जो मैंने खोला दरवाजा 
मेरे बंद कमरे में सवेरा उतर आया

4

तू ने 
दुवाओं से है 
सींचा मेरा वजूद 
मेरे आँगन में हरदम बहार रहती है 

5

तेरी हर दाद 
मेरी लिए इनाम है 
सिक्के बहुत जमा हैं 
मर्तबान मे

6

धूप
तुम
उतरो मेरे आँगन में 
और पसर जाओ 
सीलन बहुत बसी है दर--दिवार पर

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