तू मुझे नवाज दे
एक रात ख्वाब की
जो तुझको लपेट कर
आँखों में कट जाये
बहती रगों में है
कशिश जो
तिश्नगी बन कर
तेरे लम्स से तकमील हो
और छट जाया
बनकर रवानी
तू मेरी
रूह में उतरे
और पुश्ते - फ़िराक
इखलास की
शिद्दत से कट जाएँ
है मरासिम जो तू
है मौत भी मंजूर
फिर मेरा चाहे
ये सर भी कट जाये
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