शायद
कभी जब दिन ढले
तेरे ज़ानों पर
और
गेसू तेरे
रात बन
सुकूँ में ढल जाये
तेरी उंगलिया
माथे पर मेरे
लिखे इबारत
इश्क की
और
लम्स से तेरे
मेरी
फिरन पिघल जाये
शायद
मिले तब
मुझको को राहत
और
रूह को नींद आये
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