हम तुम चलो कुछ तो कभी बात करें
छोटी सही मगर कुछ तो शुरूवात करें
धरा की बात करें, सूरज के साथ करें
यूँ साथ चलते चलते सुबह से रात करें
चंदा की बात करें सितारों के साथ करें
हम तुम चलो कुछ तो कभी बात करें
छोटी सही मगर कुछ तो शुरूवात करें
बातों बातों में ही बात आघे बढ़ेगी
कुछ नए किस्से -कहानी बन जायेंगे
थामे हुए हैं जो ये अल्फाज संगदिल
खुले तसावुर की रवानी बन जायेंगे
जो भी इनको पढ़ेगा वो जान लेगा
मेरी ग़ज़ल से तुझको पहचान लेगा
हर हर्फ़ तेरी रानाई की दास्तान होगा
मेरे न रहने पर जो मेरी पहचान होगा
लोग दाद देंगे मेरे कलामों को
और तुझ को दुआ तकसीम होगी
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