निखर गया है चाँद अमावास के बाद अब
लगता है मुश्किलों का मौसम बदल गया
जो दर्द मुन्जमिद था अब तक इस रूह में
हुआ तेरा करम ऐसा की वो पिघल गया
धूप का दरया उठा बनकर तेरी रहमत
जो अपनी रवानी में अँधेरा निगल गया
करो तुम अब दुआ की तेरी बंदगी रहे
रोशन तेरे नूर से ये मेरी ज़िन्दगी रहे
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