तू सुबह की धुप है
इन्द्रधनुष के रंग है
कल्पना का रूप है
दुआ भी तू है
तू ही इबादत
तू ही खुदा
ईमान भी तू
तू है तप- जप
तू ही तपस्या
मंदिर तू
भगवन भी तू
तू ही हवा है
तू ही घटा है
धड़कन तू है
सांस भी तू
तू जीवन की
संवेदना है
मृत्यु का
एहसास भी तू
धरती तू है
आकाश भी तू
तू ही कल है
आज भी तू
तू आदि ही
तू ही अंत है
है अन्नंत का
राज भी तू
मंजिल तू है
तलाश भी तू
तू ही प्रतिग्या
विश्वास भी तू
कितना दूर
है तू लगता
फिर भी
कितने पास है तू
तू ही - मैं हूँ
मैं भी- तू हूँ
सब तुझ मैं समाया है
जिधर भी देखूं
जिसे भी देखूं
सब तुझ से ही आया है
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