Friday, December 23, 2011

तू

तू सुबह की धुप है  
इन्द्रधनुष के रंग है   
कल्पना का रूप है 

दुआ भी तू है  
तू ही इबादत 
तू ही खुदा 
ईमान भी तू 
तू  है तप- जप 
तू ही तपस्या 
मंदिर तू 
भगवन भी तू 

तू ही हवा है 
तू ही घटा है 
धड़कन तू है 
सांस भी तू 
तू जीवन की 
संवेदना है 
मृत्यु का 
एहसास भी तू 


धरती तू है 
आकाश भी तू 
तू ही कल है 
आज भी तू 
तू आदि ही 
तू ही अंत है 
है अन्नंत का 
राज भी तू 

मंजिल तू है 
तलाश भी तू  
तू ही प्रतिग्या 
विश्वास भी तू 
कितना दूर
है तू लगता 
फिर भी 
कितने पास है तू 

तू ही - मैं हूँ 
मैं भी- तू हूँ  
सब तुझ मैं समाया है 
जिधर भी देखूं 
जिसे भी देखूं 
सब तुझ से ही आया है 


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