तू गर सुन सके ख़ामोशी का शोर
है जो गूंजता तेरे चारों ओर
कोशिश तो कर तू पुरजोर
और खिंच ले अंधेरों का छोर
न कोई धागा, न कोई डोर
छिपी हुई है कहीं इक भोर
जो दौड़ी चली आयेगी तेरी ओर
है जो गूंजता तेरे चारों ओर
कोशिश तो कर तू पुरजोर
और खिंच ले अंधेरों का छोर
न कोई धागा, न कोई डोर
छिपी हुई है कहीं इक भोर
जो दौड़ी चली आयेगी तेरी ओर
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