Saturday, November 26, 2011

अब इतनी ज्यादती भी मेरे साथ न करो

बातों बातों में यूँ ही तुम बेबात न करो
अब इतनी ज्यादती भी मेरे साथ न करो
मैं जानता हूँ तुम सलीकों का हुनर रखते हो
एहसानों से, इतने भारी हालत न करो
अब इतनी ज्यादती मेरे साथ न करो

 
क्या है जरुरत कोई बातों को उलझाने की
बात बात में जो है दूरी, छलकाने की
इल्म मुझको हालातों की गहरायी का है
जाहिर कागज के फूलों से जज्बात न करो
अब इतनी ज्यादती मेरे साथ न करो
एहसानों से, इतने भारी हालत न करो

ना तुम ने मुझ को खोजा है, न मैंने तुम को पाया है
कड़ी धुप ने वक्त की बाँधा हम को हमसाया है
तेरे होने की हर वजह है मेरे सर आँखों पर
सौतेलापन मेरे वजूद के साथ न करो
अब इतनी ज्यादती भी मेरे साथ न करो
एहसानों से, इतने भारी हालत न करो

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