Thursday, November 10, 2011

बातें ही तो हैं

अब मैं,
..........तुम से क्या कहूं?
बस बाते बातें ....
..................बातें ही तो हैं
...................................जो तुम से करनी हैं
वैसे
......मैंने तुम्हें कल भी एक ख़त लिखा था
और फाड़ के फैंक दिया
कुछ बातें
............शायद
.....................बिन कहे ही अच्छी लगती हैं
कुछ बातें ...
वैसे
....मैंने
.........तुमसे वो सब कुछ कह तो दिया है
वो सब कुछ
..........जो
.............मैं कहूं ,या न भी कहूँ
कुछ भी फर्क नहीं पढता
चाँद चाँद ही रहेगा
धरती पर नहीं उतेरगा
तारे तारे ही रहेंगे
कोई उनको तोड़ नहीं सकता
........................................फिर भी
ये फजूल की बातें करना
क्योँ....
..........तुम्हें भी अच्छा लगता है
...........और मुझे भी
इस बात बेबात में
.....................बात भी हो गई
.....................और बात बांकी भी रह गयी
कुछ बातें
............शायद
....................बिन कहे ही अच्छी लागत हैं
और
अब मैं,
.........तुम से क्या कहूं?
बस बाते बातें ....
..................बातें ही तो हैं ...

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