Thursday, November 10, 2011

सुबह

सुबह ठिठकी है
खिड़की पर
फिर से नए रंग लेकर
नयी मुस्कुराहट लेकर
नयी एक उमंग लेकर 
कल के कुछ अधूरे सपने
नए हौंसलों के संग लेकर
कल से सीखे सबकों को
अनुभवों का ढंग देकर
कोशिश की उड़ान को
उम्मीद की पतंग देकर
निश्चय के एकल भाव को
द्रढ़ता की सत्संग देकर
सुबह ठिठकी है
खिड़की पर
फिर से नए रंग लेकर

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