अब मैं नहीं पूछुंगा तुमसे
कि तुम कैसे हो
शायद ये बड़ा बेहूदा सवाल है
क्योंकि जब तक तुम खुद बदलना नहीं चाहोगे
मौसम बदलेगा नहीं मानता हूँ मैं की ये आसान नहीं
दर्द गहरा उतर गया है सलीब बन कर
मगर इतना मुश्किल भी तो नहीं
तुम कोशिश तो करो
देखो जब तक तुम पौंध नहीं लगाओगे
मेरे पानी देने से कुछ नहीं बढ़ने वाला
तुमको शुबा है कि फिर से फसल काँटों की ही होगी
मगर ये जरुरी तो नहीं
हो सकता है इस बार महकते केसर खिल जाएँ
मुन्जमिंद जमीन पर
और उनका रंग जिंदगी की रंगत बदल दे
शायद
उम्मीद पर ही दुनिया चलती है
वरना किसने कल देखा है
कि तुम कैसे हो
शायद ये बड़ा बेहूदा सवाल है
क्योंकि जब तक तुम खुद बदलना नहीं चाहोगे
मौसम बदलेगा नहीं मानता हूँ मैं की ये आसान नहीं
दर्द गहरा उतर गया है सलीब बन कर
मगर इतना मुश्किल भी तो नहीं
तुम कोशिश तो करो
देखो जब तक तुम पौंध नहीं लगाओगे
मेरे पानी देने से कुछ नहीं बढ़ने वाला
तुमको शुबा है कि फिर से फसल काँटों की ही होगी
मगर ये जरुरी तो नहीं
हो सकता है इस बार महकते केसर खिल जाएँ
मुन्जमिंद जमीन पर
और उनका रंग जिंदगी की रंगत बदल दे
शायद
उम्मीद पर ही दुनिया चलती है
वरना किसने कल देखा है
No comments:
Post a Comment