Wednesday, November 02, 2011

फिर सुबह

सुबह ठिठकी है 

खिड़की पर 

फिर से नए रंग लेकर 

नयी मुस्कुराहट लेकर 

नयी एक उमंग लेकर


कल के कुछ अधूरे सपने

नए हौंसलों के संग लेकर 

कल से सीखे सबकों को 

अनुभवों का ढंग देकर 

कोशिश की उड़ान को 

उम्मीद की पतंग देकर

निश्चय के एकल भाव को

द्रढ़ता की सत्संग देकर 

सुबह ठिठकी है

खिड़की पर

फिर से नए रंग लेकर

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