Sunday, October 23, 2011

अमावास का अँधेरा दियों से दूर नहीं होता

क्या कभी
किसी राम ने
किसी रावण को मारा था ?
रावण तो आज भी जिन्दा है
और उसके दस सर कट कर
हर तरफ बिखर गए हैं
कभी वो
आतंकवाद बन कर उभरता है
कभी वो भ्रटाचार बन कर
और उसका दमन जरी है
और राम
वो है कहाँ
अब कौन सा वनवास काट रहे हैं
की सिर्फ उनकी खडाऊं ही नजर आती है
भारत की पूछो तो
वो राम को ढूँढने निकले हैं
और प्रजा प्रतडित हो रही है
सीता
उसकी तो अग्नि परीक्षा
अब तो जन्म लेने से पहले ही हो जाती है
और उसको जन्म लेते ही
धरती में सामान पड़ रहा है
जनता का पसीना
स्वित्ज़रलैंड की लंका मैं कैद है
और राम का नाम ले कर
विभीषण उस पर राज कर रहे है
और महंत
भोली भली जनता को
कलयुग की घुट्टी पिला रहे है
फिर कैसा दशहरा
फिर कैसी दिवाली
अमावास का अँधेरा
दियों से दूर नहीं होता

No comments:

Post a Comment