SKAND NAYAL
Sunday, October 23, 2011
रोशनी तुम, ठहरना मेरी देहलीज पर
सुनों
मैं बैठा हूँ यहाँ पर
हथेली पर दूब जमाये
बड़ी मुश्किल से पौंध हरी हुई है
इस उसर में
बड़ी उम्मीद से सींचता हूँ इसे
इंतज़ार से'
सुना है
पौंधो के लिए उजाला जरूरी है
...............
रोशनी
तुम,
ठहरना मेरी देहलीज पर
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