यहीं कहीं किसी कोने पर पड़ी है बेज़ार जिंदगी
किसी फोटो एल्बम में लगी तस्वीर की तरह
वो फोटो जो कभी तुमने पहाड़ों पर खिचवाई थी
तुम कितने जांचते थे उस स्वेटर में , काले गोगल्स लगाये
वो स्वेटर जो माँ ने अपने हाथों से बुना था
और गोगल्स जो पिताजी विलायत से लाये थे
वो तुम्हरी मुस्कुराहट
बस अब तस्वीर बन कर रह ही गयी है
जो न जाने किस एल्बम में कैद है
यहीं कहीं किसी कोने में पड़ी है मायूस जिंदगी
उस खिलौने की तरह जो तुमने बड़ी ज़िद से ख़रीदे था
कितना थे रोये तुम उस के लिए
माँ ने था बहलाया , बाबा ने फुसलाया
था जब ख़रीदा उसे तुमको चैन तब आया
था बन के साया वो हर वक्त तुम्हारे साथ रहता रात दिन
सांस भी न लेते थे शायद तुम उसके बिन
फिर वक्त बदला दोस्त बदले और तुम सयाने हो गए
वो तुम्हारे अपने , वो भी बेगाने हो गए
और तुम्हारी वो मासूमियत
न जाने कहाँ उस खिलौने की तरह
धूल खा रही है
जिंदगी यूँ ही भुला दी है तुमने
उन कसमों - वादों की तरह
जिनके वजूद से भी तुमको अब इनकार है
सुबह सूरज से पहले उठ कर वर्जिश करने का वादा
सिगरेट से तौबा करने की कसम
वक्त पर लौट आने की जुबान तो पहले ही दिन फिसल गए थी
माना हजारों कोशिश की थी तुमने
मगर वादे टूटते रहे और ज़िदगी के बिखरे पल
पीछे छूटते रहे
अब ये तुम पर है कि
वो बिखरे पल समेटो ,पलकों पर उठालो
तस्वीर अपनी झाड पोंछ कर बैठक में सजा लो
जोड़ो बिखरे रिश्तों - नाते , ढूँढो वो संगी साथी
आघे बढने कि अंधी दौड़ में
जिंदगी
यूँ ही है पीछे रह जाती
वो तुम्हरी मुस्कुराहट
ReplyDeleteबस अब तस्वीर बन कर रह ही गयी है
जो न जाने किस एल्बम में कैद है
.... vaah!!!