उसके नन्हे हाथों की उँगलियों को छू कर
गोदी में उसे उठाकर
फिर अपने गले लगाकर
कभी सहला कर,कभी फुसलाकर
और लोरी कभी सुनकर
जिंदगी
मिलती है फिर से
दोबारा
खो कर उसकी कूची के रंग में
जी कर के कुछ उसके ढंग में
कभी गुड़ियों की शादी में जाकर
कभी चूड़ी, पायल बिंदी लाकर
जिंदगी
मिलती है फिर से
दोबारा
जब वो रूठी हो उसको मनाकर
कभी रो कर ,कभी हंसा कर
जाहिर सी एक बात को
कभी छिपा कर, कभी जाता कर
कभी उसके नाज उठाकर
जिंदगी
मिलती है फिर से
दोबारा
कभी मंदिर जा कर, उपवास उठाकर
ट्रफिक सिग्नल पर हाथ बढ़ा कर
बाँट के रोटी पोछ के आँसूं
इन्सान होने का फ़र्ज़ निभाकर
अगर जीना चाहो तो
हर पल
जिंदगी
मिलती है फिर से
दोबारा
गोदी में उसे उठाकर
फिर अपने गले लगाकर
कभी सहला कर,कभी फुसलाकर
और लोरी कभी सुनकर
जिंदगी
मिलती है फिर से
दोबारा
खो कर उसकी कूची के रंग में
जी कर के कुछ उसके ढंग में
कभी गुड़ियों की शादी में जाकर
कभी चूड़ी, पायल बिंदी लाकर
जिंदगी
मिलती है फिर से
दोबारा
जब वो रूठी हो उसको मनाकर
कभी रो कर ,कभी हंसा कर
जाहिर सी एक बात को
कभी छिपा कर, कभी जाता कर
कभी उसके नाज उठाकर
जिंदगी
मिलती है फिर से
दोबारा
कभी मंदिर जा कर, उपवास उठाकर
ट्रफिक सिग्नल पर हाथ बढ़ा कर
बाँट के रोटी पोछ के आँसूं
इन्सान होने का फ़र्ज़ निभाकर
अगर जीना चाहो तो
हर पल
जिंदगी
मिलती है फिर से
दोबारा
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