यूँ ही,
कभी...रैना तले
सपनों में
हम तुम
फिर जो मिले
लपेटे कई सवालों को जुल्फों तुम
क्योँ हो गई थी हकीकत में गुम
अब दूर होंगे
शिकवे गिले
सपनों में हम तुम
फिर जो मिले
आओ हम-तुम
चलो मिल के दोनों
सलवटे रोशनी की सुलझाएँ
माझी ठहरा है - उसको पिघलने दो
आंसुओं को -ये शिकवे निगलने दो
तुम जो अब हो -मिले
साथ अब हम- चले
बस ये रैना ...
ये बैरन
कभी न ढले
सपनों में
हम तुम
फिर जो मिले
आओ हम तुम
चलो मिल के दोनों
सिलसिलो के समंदर सजाये
लहरे उठने दो - साहिल से मिलने दो
वक्त की धार उसको बदलने दो
तुम रुको तो - रुकें
तुम चलो तो- चलें
बस ये रैना ...
ये बैरन
कभी न ढले
यूँ ही,
कभी...रैना तले
सपनों में
हम तुम
फिर जो मिले
लपेटे कई सवालों को जुल्फों तुम
क्योँ हो गई थी हकीकत में गुम
अब दूर होंगे
शिकवे गिले
सपनों में हम तुम
फिर जो मिले
कभी...रैना तले
सपनों में
हम तुम
फिर जो मिले
लपेटे कई सवालों को जुल्फों तुम
क्योँ हो गई थी हकीकत में गुम
अब दूर होंगे
शिकवे गिले
सपनों में हम तुम
फिर जो मिले
आओ हम-तुम
चलो मिल के दोनों
सलवटे रोशनी की सुलझाएँ
माझी ठहरा है - उसको पिघलने दो
आंसुओं को -ये शिकवे निगलने दो
तुम जो अब हो -मिले
साथ अब हम- चले
बस ये रैना ...
ये बैरन
कभी न ढले
सपनों में
हम तुम
फिर जो मिले
आओ हम तुम
चलो मिल के दोनों
सिलसिलो के समंदर सजाये
लहरे उठने दो - साहिल से मिलने दो
वक्त की धार उसको बदलने दो
तुम रुको तो - रुकें
तुम चलो तो- चलें
बस ये रैना ...
ये बैरन
कभी न ढले
यूँ ही,
कभी...रैना तले
सपनों में
हम तुम
फिर जो मिले
लपेटे कई सवालों को जुल्फों तुम
क्योँ हो गई थी हकीकत में गुम
अब दूर होंगे
शिकवे गिले
सपनों में हम तुम
फिर जो मिले
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