तुमने कभी नहीं सोचा बचपन बाँटने से पहले
बस एक मुस्कुराहट के साथ
कभी टॉफी, कभी बिस्कुट, कभी बन
अपने हिस्से का माँ बाप का प्यार
मेरे हिस्से का गुस्सा
बस बांटती चली गयी
तुमने कभी पान के दाग मेरे कुरते पर लगने नहीं दिए
और अगरबत्ती से मेरे ऐब ढँक कर
माँ को सब कुछ ठीक होने का यकीन दिलाती रही
बिना किसी शिकायत के तुम
कभी मेरी कलम बनी , कभी बैसाखी ,कभी डाकिया
मेरी एक मुस्कान के सदके में तुमने अपना बचपन बिछा दिया
मैं बुखार में तपता बर्फ तुम बन जाती
परीक्षा की रातों में साथ जगती ,बैठ के घंटो मंदिर में आशीष मांगती
में जो भी आज हूँ ,तुम्हारा बनाया हूँ
चाहे जो भी बन जाऊं
तेरा ही साया हूँ
बस एक मुस्कुराहट के साथ
कभी टॉफी, कभी बिस्कुट, कभी बन
अपने हिस्से का माँ बाप का प्यार
मेरे हिस्से का गुस्सा
बस बांटती चली गयी
तुमने कभी पान के दाग मेरे कुरते पर लगने नहीं दिए
और अगरबत्ती से मेरे ऐब ढँक कर
माँ को सब कुछ ठीक होने का यकीन दिलाती रही
बिना किसी शिकायत के तुम
कभी मेरी कलम बनी , कभी बैसाखी ,कभी डाकिया
मेरी एक मुस्कान के सदके में तुमने अपना बचपन बिछा दिया
मैं बुखार में तपता बर्फ तुम बन जाती
,
में दर्द से बिलखता तुम मरहम बन जाती
में दर्द से बिलखता तुम मरहम बन जाती
परीक्षा की रातों में साथ जगती ,बैठ के घंटो मंदिर में आशीष मांगती
में जो भी आज हूँ ,तुम्हारा बनाया हूँ
चाहे जो भी बन जाऊं
तेरा ही साया हूँ
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