Sunday, August 07, 2011

..मैंने तेरे बिना जीना सीख लिया

सुबह उठ कर मैं चादर से सलवटें हटता हूँ ,

चेहरा धोता हूँ ठन्डे पानी से,

की आँखों में ख्वाब का कोई भी कतरा बांकी न रह जाए

मैं अखबार नहीं पड़ता

बस टीवी पर चैनलों को फैंट कर आमलेट सा परोस लेता हूँ

अब में कॉफ़ी भी दूध मिलकर पीता हूँ

और मैंने सिगरेट छोड दी है

कभी कभी मैं पार्टियों मैं भी जाता हूँ

अब नीट व्हिस्की तो नहीं पीता , थोडा सोडा भी मिला लेता हूँ

वेज - नॉन वेज अब मुझे कोई पहेज नहीं है

हाँ लेकिन कभी पीकर गाड़ी नहीं चलता ,

और सीट की बेल्ट लगन नहीं भूलता

नशा चाहे कितना भी हो

गाड़ी में FM जरूर सुनता हूँ

कुछ बदला बदला सा लगता है

मोहित चौहान अब मुझे रुला नहीं पता

और सुनिधि चौहान की आवाज अच्छी लगने लगी है

रेड लाइट पर रूक कर अक्सर फूल खरीदता हूँ

और घर लौट कर उन्हें गुलदस्ते में लगा देता हूँ

उनको जिन्दा रखने के लिए पानी बदलन बहुत जरूरी है

शायद

मैंने तेरे बिना जीना सीख लिया

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