Friday, July 08, 2011

...तुम इतने कभी तो पराये नहीं थे

तुम इतने कभी तो पराये नहीं थे
के दरवाजा मेरा तुम खट खट - आओ
जब इजाजत मिले
तभी तुम
दहलीज लंघो अन्दर को आओ
दूरी का ऐसा तकाजा करो की
रहकर खड़े तुम मुस्कुराओ
मैं आघे बढूँ तुम से जो लिपटने
तुम हाथ अपना आघे बढाओ
मैं आघे बढूँ एक कदम हक समझकर
तुम दो कदन फिर पीछे जाओ
दहलीज पर हो कर खड़े फिर
अपना मुझे कोई परिचय बताओ
तुम इतने कभी तो पराये नहीं थे
के दरवाजा मेरा तुम खट खट - आओ

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