नंगे पैर हकीकतों की तपती रेत पर चल कर मैं तेरा जानिब चला आया हूँ
अब ना ख़ुदा का खौफ है ना ख़ुदी की बंदिश
तुझ में मिल कर मैं सहर हो जाऊँगा
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