कभी
घुल जाउँगा
मैं
रात कि शबनम में
और तुमको ना खबर होगी
घुल जाउँगा
मैं
रात कि शबनम में
और तुमको ना खबर होगी
सुबह जागोगो
तो सूरज बदनुमा सा होगा
और रात की सीलन तुम्हारी साँसों में महकेगी
गेसुओं में उलझे ख्याल तुम्हारी उंगलियों को बाँध लेंगे
और तुम्हारी नज़र रोशनी से सवालात करेगी
तो सूरज बदनुमा सा होगा
और रात की सीलन तुम्हारी साँसों में महकेगी
गेसुओं में उलझे ख्याल तुम्हारी उंगलियों को बाँध लेंगे
और तुम्हारी नज़र रोशनी से सवालात करेगी
दर
दीवारें
दरीचें
दफ्न कर देंगी
दरम्यान
और छत पर रेंगते मरासिम
तुम्हारी आँखों में उतर जाएँगे
दीवारें
दरीचें
दफ्न कर देंगी
दरम्यान
और छत पर रेंगते मरासिम
तुम्हारी आँखों में उतर जाएँगे
पलकों पर पतझड ठहर जाएगा
मुजंमिद साँसों से पेशतर
धङकने रंज करेगी
जिंदगी के इसरार पर
ना दर्द होगा
ना सुकून
बस वक्त
पिघल पिघल कर
मोम सा बहता रहेगा
मुजंमिद साँसों से पेशतर
धङकने रंज करेगी
जिंदगी के इसरार पर
ना दर्द होगा
ना सुकून
बस वक्त
पिघल पिघल कर
मोम सा बहता रहेगा
तकिए की सलवटें चुभेंगी
रूह पर खराशें बन कर उतर जाएंगी
रात पसरेगी बिस्तर पर बन कर रकीब
नींद
करवटों का कहर होगी
रोशनी देगी दस्तक
मगर
वो ना सहर होगी
रूह पर खराशें बन कर उतर जाएंगी
रात पसरेगी बिस्तर पर बन कर रकीब
नींद
करवटों का कहर होगी
रोशनी देगी दस्तक
मगर
वो ना सहर होगी
कभी
घुल जाउँगा
मैं
रात कि शबनम में
और
तुमको ना खबर होगी
घुल जाउँगा
मैं
रात कि शबनम में
और
तुमको ना खबर होगी
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