Saturday, July 05, 2014

तुम और तुम्हारी यादें








अक्सर
मुझको
शर्ट के टूटे बटन
उलझते हैं
टंग तो जाते हैं
लेकिन
याद तुम्हें दिलाते हैं

चाबी का गुच्छा
आवारा
ओने - कोने में मिलता है
जब भी गुम हो जाता है
मुझको तुमसे सिलता है

वो
बिखरे कपडे जूते
आपस में बतियाते हैं
हाथ पकड़ कर मेरा
तुम तक लेकर जाते हैं

जब भी
ऐनक मेरी
धुंधली सी हो जाती है
साफ़ करूँ
जब उसको
तुमको ही दिखलाती है

अक्सर
मैं
सोते सोते
ऐसे ही
उठ जाता हूँ
खुली कुण्डी दरवाजे की
बंद कर के
आता हूँ
ऑंखें बंद करता हूँ
जब
खुद को तुम ही पात हूँ

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