Friday, June 06, 2014

हिंदुस्तान

हिन्दू की अपनी शान 
मुस्लिम की अपनी आन 
सिख ईसीई ढूंढ रहे अपनी अपनी पहचान 
तुम ही कहो
कैसे हो फिर 
नए भारत का निर्माण 

खेमों पलों में बाँट कर 
रहा देश है टूट 
आज़ादी के नाम मिली है 
सबको नंगी छूट

धर्म जात पर बात बात पर
होते लहूलुहान
मेरी गाड़ी चलती है तो
भाड़ में जाये हिंदुस्तान

वोट नोट का खेल ये प्यारो
है कितना अजीब
अपने ही हाथों लुटता है
इस देश का गरीब

सबको यहाँ जरुरी है
अपनी अपनी पहचान
अल्पसंख्यकों अगड़ों - पिछड़ों में
बांटा है हिंदुस्तान

हिन्दू की अपनी शान
मुस्लिम की अपनी आन
सिख ईसीई ढूंढ रहे अपनी अपनी पहचान
तुम ही कहो
कैसे हो फिर
नए भारत का निर्माण

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